‘अल्पसंख्यक खतरे में हैं’, इस झूठ से उठ गया पर्दा; हिन्दुओं की आबादी घटने पर बोले प्रधानमंत्री मोदी…

‘अल्पसंख्यक खतरे में हैं’, इस झूठ से उठ गया पर्दा; हिन्दुओं की आबादी घटने पर बोले प्रधानमंत्री मोदी…

प्रधानमंत्री मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा है कि दशकों से चली आ रही वह धारणा झूठी साबित हुई है, जिसमें दावा किया जाता रहा है कि देश में ‘अल्पसंख्यक खतरे में हैं’।

पीएम मोदी ने कहा कि अब इस झूठ पर से पर्दा उठ गया है। रिपब्लिक टीवी से बातचीत में प्रधानमंत्री ने कहा कि जो धारणा बनाई गई थी, वह आखिरकार गलत साबित हुई है।

EAC-PM) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “1950 से 2015 के बीच भारत में हिंदुओं की संख्या में लगभग 8 फीसदी की कमी आई है, जबकि अल्पसंख्यकों की संख्या में 43 फीसदी का इजाफा हुआ है। जो धारणा बनाई गई थी, वह गलत साबित हो रही है। गलत कहानी भी उजागर हो रही है। इसका जो भी मतलब निकालना है, निकाल सकते हैं। मैं अब इस बारे में कुछ भी नहीं कहना चाहता।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “अगर ये तथ्य हैं तो फिर ऐसी धारणाएं क्यों बनाई जा रही हैं कि भारत में अल्पसंख्यकों को दबाया जा रहा है, भारत में अल्पसंख्यकों की कोई आवाज नहीं है।” पीएम ने कहा कि लोगों को अब सच्चाई स्वीकार करना चाहिए और भारत के खिलाफ गढ़े जा रहे सभी आरोपों को खारिज कर उस नैरेटिव से बाहर आना चाहिए।” प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय, वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को लेकर चलने वाला देश है।” 

प्रधानमंत्री मोदी की यह टिप्पणी EAC-PM द्वारा एक रिपोर्ट प्रकाशित किए जाने के बाद आई है। उस रिपोर्ट में कहा गया है कि 1950 से 2015 के बीच भारत में बहुसंख्यक हिंदू आबादी  7.82% कम हुई है। इसका आंकड़ा पहले 84.68 फीसदी था जो घटकर 78.06 फीसदी हुआ है, जबकि मुस्लिम आबादी, जो 1950 में 9.84% थी, वह 2015 में बढ़कर 14.09% हो गई है। यानी उनकी आबादी के हिस्से में 43.15% की वृद्धि हुई है। 

रिपोर्ट के अनुसार, 65 वर्षों में ईसाई आबादी 2.24% से बढ़कर 2.36% हो गई है। यानी उनकी आबादी के हिस्से में 5.38 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

इसी तरह सिख आबादी का हिस्सा 1950 में 1.24 प्रतिशत से बढ़कर 2015 में 1.85 प्रतिशत हो गया – उनके हिस्से में 6.58 प्रतिशत की वृद्धि हुई। यहां तक ​​कि बौद्ध आबादी के हिस्से में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है जो 1950 में 0.05 प्रतिशत से बढ़कर 0.81 प्रतिशत हो गई है।

हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की जनसंख्या में जैनियों की हिस्सेदारी 1950 में 0.45 प्रतिशत से घटकर 2015 में 0.36 प्रतिशत रह गई है।

इसी तरह पारसी आबादी की हिस्सेदारी में 85 प्रतिशत की भारी गिरावट देखी गई, जो 1950 में 0.03 प्रतिशत से घटकर 2015 में 0.004 प्रतिशत हो गई है।

टीवी चैनल से बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “हमें भारत को आगे ले जाना है और इसके लिए मैं ‘सबका साथ, सबका विकास’ मंत्र लेकर चला हूं।” पीएम ने कहा, “जब 2014 में मैंने अपना काम शुरू किया था, तब मैंने इसमें एक और नारा जोड़ा था ‘सबका विश्वास और सबका प्रयास’। सरकार द्वारा किए जाने वाले काम में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। चाहे वह भेदभाव जाति आधारित हो, लिंग आधारित हो या धर्म आधारित हो। समाज में किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “धर्म के आधार पर आरक्षण सबसे खतरनाक चीज है। कोई भी देश इस तरह से नहीं चलाया जा सकता। जब मैं मुस्लिम कहता हूं तो मेरे आस-पास का पूरा इकोसिस्टम कहता है कि मोदी ने चुनावों में हिंदू-मुस्लिम का जिक्र किया है। मोदी हिंदू-मुस्लिम लेकर नहीं आया। यह आपके कर्मों में है और मेरा दायित्व है कि मैं देश के सामने आपको बेनकाब करूं। लोगों को शिक्षित करना मेरा कर्तव्य है। अगर कोई मुझ पर आरोप लगाता है या मेरे भाषणों पर उंगली उठाता है, तो मैंने न तो मुसलमानों के खिलाफ कुछ कहा है और न ही इस्लाम के खिलाफ। मैं धर्मनिरपेक्षता के नाम पर देश को नष्ट करने के प्रयासों के खिलाफ बोल रहा हूं।” 

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