हरियाणा-दिल्ली में रार, महाराष्ट्र में तकरार, क्या इंडिया गठबंधन में पड़ गई है दरार

हरियाणा-दिल्ली में रार, महाराष्ट्र में तकरार, क्या इंडिया गठबंधन में पड़ गई है दरार

नई दिल्ली । हरियाणा और दिल्ली में मिली हार का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ते हुए आम आदमी पार्टी ने साफ कर दिया है कि वह आगामी विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। पार्टी का कहना है कि गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव तक ही था। वहीं महाराष्ट्र में भी कांग्रेस और उद्धव गुट की शिवसेना के बीच अनबन शुरू हो गई है। विधान परिषद शिक्षक और स्नातक कोटे के चुनाव को लेकर कांग्रेस शिवसेना (यूबीटी) आमने सामने है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी के विजय रथ को रोकने के लिए तमाम विपक्षी दलों ने एक साथ मिलकर इंडिया गठबंधन का गठन किया था। इंडिया गठबंधन भले ही पीएम मोदी को सत्ता की हैट्रिक लगाने से न रोक पाया हो, लेकिन बीजेपी को बहुमत के आंकड़े से दूर कर दिया था। एनडीए को इंडिया गठबंधन ने कड़ा मुकाबला दिया था, लेकिन अब नतीजे के बाद विपक्षी एकता बिखरने लगी है। दिल्ली-हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच सियासी रार छिड़ गई है तो महाराष्ट्र में कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) के बीच तकरार शुरू हो गई है। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने पंजाब छोड़कर दिल्ली, हरियाणा, असम और गुजरात सहित बाकी राज्यों में मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था। हरियाणा में कांग्रेस ने पांच सीटें जीतीं तो आम आदमी पार्टी कुछ वोटों से कुरुक्षेत्र सीट हार गई। दिल्ली में भी किसी का खाता नहीं खुला। हरियाणा और दिल्ली में मिली हार का ठीकरा आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस पर फोड़ा है। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया है तो कांग्रेस ने हरियाणा में अकेले चुनावी मैदान में उतरने की बात कही है। इस तरह आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की राह एक दूसरे से जुदा हो गई है। हरियाणा में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनाव में पांच सीटें जीतने के बाद कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं तो आम आदमी पार्टी के नेता कह रहे हैं कि उनकी पार्टी को कुरुक्षेत्र सीट पर कांग्रेस से पर्याप्त समर्थन नहीं मिला, जिसके चलते सुशील गुप्ता हार गए। ऐसे में कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि जहां तक आप के साथ हमारे गठबंधन की बात है, तो यह राष्ट्रीय स्तर (लोकसभा चुनाव) के लिए था, न कि राज्य (विधानसभा) स्तर के लिए। हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा ने भी सोमवार को कहा था कि कांग्रेस का आप के साथ गठबंधन लोकसभा चुनाव तक सीमित है। हरियाणा में इंडिया गठबंधन को 47.6 प्रतिशत वोट मिला, जो देश के सभी राज्यों में सबसे अधिक है। ऐसे में हुड्डा और कांग्रेस पार्टी अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने की राह पर हैं राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन टूट गया है। आम आदमी पार्टी की ओर से आज ये स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली विधानसभा का चुनाव वह अकेले लड़ेगी। कांग्रेस के साथ सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन किया गया था। आम आदमी पार्टी के दिल्ली संयोजक गोपाल राय ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा। दोनों ही पार्टियों ने लोकसभा चुनाव में मिलकर दिल्ली में चुनाव लड़ा था। दिल्ली की सात में से चार सीटों पर आम आदमी पार्टी ने और तीन पर कांग्रेस ने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत सके। यही वजह है कि अब लोकसभा चुनाव के परिणाम सामने आने के बाद आज आम आदमी पार्टी ने गठबंधन तोड़ने का ऐलान किया। दिल्ली में इंडिया गठबंधन की हार की यह वजह भी बताई जा रही है कि चुनाव में दोनों पार्टियां अपने वोट एक दूसरे के दल में शिफ्ट कराने में नाकाम रहीं। लोकसभा चुनाव खत्म होते ही महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन में दरार पड़ती दिख रही है। विधान परिषद शिक्षक और स्नातक कोटे के चुनाव को लेकर कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) के बीच अनबन शुरू हो गई है। सूबे की चार सीटों पर हो रहे एमएलसी चुनाव में उद्धव की शिवसेना ने बिना चर्चा के ही चारों सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं, जिससे कांग्रेस नेता नाराज हो गए हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि विधान परिषद चुनाव को लेकर उद्धव ने कोई चर्चा नहीं की। इस संबंध में जब हमने ठाकरे से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने फोन तक नहीं उठाया। नाना पटोले ने मांग की है कि शिवसेना (यूबीटी) नासिक और कोकण में अपने उम्मीदवार वापस ले, उद्धव खेमे के नेता अंबादास दानवे ने कहा कि पारंपरिक तरीके से जिन चार सीटों पर शिवसेना ने उम्मीदवार की घोषणा की है, वहां पर कांग्रेस प्रभावी नहीं है।

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