बैगा आदिवासियों की मौत का कारण डायरिया नहीं, विभिन्न कारणों से हुई मौत
कलेक्टर के निर्देश पर तीन सदस्यीय टीम ने की मामले की जांच
जंगली मशरूम (फुटू), घर पर ही जड़ी-बूटी से उपचार और प्रसव पश्चात लापरवाही के कारण हुई मौत
स्वास्थ्य कर्मियों एवं मितानिनों द्वारा डोर-टू-डोर फीवर सर्वे और स्वच्छता के लिए लोगों को किया जा रहा जागरूक
हैंड पंप में पावर पंप लगाकर पानी टंकी के माध्यम से ग्रामीणों को दिया जा रहा है पेयजल
रायपुर। ग्राम सोनवाही में बैगा आदिवासियों की मृत्यु के संबंध में जांच के लिए कवर्धा कलेक्टर ने तीन सदस्यीय टीम बनायी थी। इस टीम के द्वारा प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन में बैगा आदिवासियों की मौत डायरिया से नहीं बल्कि अन्य कारणों से होना पाया गया। जांच टीम में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन अभियंता, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी शामिल थे।
जांच टीम ने संयुक्त रूप से ग्राम का भ्रमण कर तथा ग्रामवासियों और मृतकों के परिजनों से चर्चा कर जो तथ्य पाए हैं उसके अनुसार महिला बैगा आदिवासी फुलबाई के पति ने ये जानकारी दी है उन्होंने जंगली मशरूम खाया था जिसके बाद उसकी पत्नी और बेटे दोनों की तबीयत खराब हो गयी थी और फिर पत्नी की मौत हो गयी। एक अन्य मामले में मृतक सुरेश धुर्वे को पेट दर्द की शिकायत थी, मितानिन द्वारा उसके घर जाकर सरकारी अस्पताल ले जाकर ईलाज कराने के सलाह देने के बावजूद चिकित्सा लाभ न लेकर स्वयं घरेलू उपचार करने के कारण उसकी मौत हो गयी। अन्य प्रकरण में ललेश्वरी नाम की बैगा आदिवासी महिला सामान्य प्रसव होने के बाद अपने मायके लालघाट मध्यप्रदेश चली गई थी। और वहीं उसकी तबीयत बिगड़ने से मौत हो गयी। सोनसिंह नामक मृतक की तबीयत खराब थी जिसकी मौत की असली वजह पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने के बाद स्पष्ट होगी।
जांच के दौरान लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा नए बोर में पम्प स्थापित कर पाइप लाइन को जोड़कर घरों में पानी सप्लाई करने की कार्यवाही की जा रही है। इसके साथ ही ग्राम सोनवाही में स्वास्थ्य शिविर लगाकर स्वास्थ्य कर्मियों एवं मितानिनों द्वारा डोर टू डोर रैपिड फीवर सर्वे कराकर सभी संभावितों की जांच व उपचार किया जा रहा है तथा ग्रामीणों को स्वच्छता के प्रति वर्तमान में ग्राम सोनवाही की स्थिति सामान्य है।