नई दिल्ली। जमीन के बदले नौकरी (लैंड फॉर जॉब) मामले में आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव और अन्य आरोपियों के खिलाफ दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने आज फैसला टाल दिया है। अदालत अब 7 सितंबर को अपना फैसला सुनाएगी।
यह मामला साल 2004 से 2009 के बीच लालू यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान की गई भर्तियों से जुड़ा हुआ है। इस मामले में लालू के अलावा उनकी पत्नी राबड़ी देवी, उनके छोटे पुत्र तेजस्वी यादव, बेटियां मीसा भारती और हेमा यादव आरोपी हैं। इस मामले की जांच सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा मिलकर की जा रही है।
सीबीआई ने लालू यादव और अन्य आरोपियों के खिलाफ दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट में 6 जुलाई को फाइनल चार्जशीट दाखिल की थी। इस चार्जशीट में सीबीआई ने 78 आरोपियों का जिक्र किया था। इसके बाद ईडी ने 6 अगस्त को 100 पेज की सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की थी।
लालू यादव पर आरोप है कि रेल मंत्री रहते हुए उन्होंने नौकरी के नाम पर लोगों की जमीनों को हड़प लिया। युवाओं को नौकरी देने के नाम पर उनकी पुस्तैनी जमीन को बहुत ही कम दामों पर खरीदा गया। यह पूरा मामला यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल 2004 से 2009 के बीच का है जब लालू यादव केंद्रीय रेल मंत्री के पद पर आसीन थे।
आरोप है कि उस दौरान रेल विभाग में निकाली गई ग्रुप डी की भर्तियों में जबर्दस्त भ्रष्टाचार किया गया। सीबीआई के अनुसार इन भर्तियों का लालच देकर युवाओं से उनकी पैतृक जमीन रिश्वत के रूप में हस्तांतरित करा ली गई। ईडी का आरोप है कि नौकरी के बदले जमीन लेने के खेल में एबी एक्सपोर्ट्स और एके इन्फोसिस्टम्स नाम की कंपनियों का इस्तेमाल हुआ।
एके इन्फोसिस्टम्स ने 1.89 करोड़ में 11 जमीनें खरीदीं। बाद में 1 लाख की कीमत पर एके इन्फोसिस्टम्स को ही लालू यादव के परिजनों के नाम ट्रांसफर कर दिया गया। इस पूरे भ्रष्टाचार में लालू के साथ उनके परिवार के अन्य लोगों की भी संलिप्तता के चलते उनको भी आरोपी बनाया गया है।