सांसद खंडेलवाल ने गोयल से अमेज़न और फ्लिपकार्ट के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की, प्रमुख ब्रांडों को भी आड़े हाथों लिया

सांसद खंडेलवाल ने गोयल से अमेज़न और फ्लिपकार्ट के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की, प्रमुख ब्रांडों को भी आड़े हाथों लिया

सीसीआई की जांच रिपोर्ट के बाद, चांदनी चौक से बीजेपी सांसद और कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने इस रिपोर्ट को वैश्विक नियामक इतिहास में एक ऐतिहासिक मामला बताया है, क्योंकि फ्लिपकार्ट और अमेज़न को खुलेआम प्रतिस्पर्धा-विरोधी कानूनों का उल्लंघन करते पाया गया है। श्री खंडेलवाल ने आज केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप और घरेलू खुदरा व्यापारियों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कार्रवाई की मांग की है।

श्री खंडेलवाल ने मंत्री से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत ई-कॉमर्स नियमों को तुरंत लागू करने और एक व्यापक ई-कॉमर्स नीति की शुरूआत की मांग की है। उन्होंने सीसीआई रिपोर्ट में नामित ब्रांडों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई और अमेज़न, फ्लिपकार्ट और उनके साथ मिलीभगत करने वाले ब्रांडों के व्यापार को निलंबित करने की भी मांग की है। उन्होंने सीसीआई को सभी अपराधियों के खिलाफ कानून के तहत तत्काल कार्रवाई करने का भी निर्देश देने का अनुरोध किया है। एक महत्वपूर्ण कदम के तहत, श्री खंडेलवाल ने अमेजन तथा फ़्लिपकर्ट के आगामी “त्योहारी बिक्री” कार्यक्रमों को निलंबित करने का आग्रह किया है, क्योंकि इससे घरेलू व्यापारियों को प्रतिस्पर्धा-विरोधी तरीकों के उपयोग से और अधिक नुकसान होगा।

श्री खंडेलवाल ने कहा कि फ्लिपकार्ट और अमेज़न द्वारा अपनाई गई प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं ने घरेलू व्यापारियों को गंभीर नुकसान पहुँचाया है और बाजार में असमान प्रतिस्पर्धा की स्थिति पैदा की है। इन निष्कर्षों से यह साबित होता है कि इन कंपनियों ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के घरेलू व्यापार को सशक्त बनाने के विजन को कमजोर किया है।

श्री खंडेलवाल ने कहा कि सीसीआई की रिपोर्ट में फ्लिपकार्ट इंटरनेट प्राइवेट लिमिटेड (प्लेटफ़ॉर्म ऑपरेटर), फ्लिपकार्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (थोक इकाई), इंस्टाकार्ट प्राइवेट लिमिटेड (लॉजिस्टिक्स इकाई), 31 विक्रेताओं और शाओमी, सैमसंग, रियलमी, मोटोरोला और वीवो सहित छह मोबाइल निर्माताओं को प्रतिस्पर्धा कानून का उल्लंघन करने के लिए दोषी पाया गया है। इस रिपोर्ट में वॉलमार्ट की फ्लिपकार्ट में हिस्सेदारी और इसके कारण भारतीय खुदरा बाजार में प्राप्त प्रभुत्व की भी जांच की गई, जिससे यह भी स्पष्ट हुआ कि कैसे उनकी व्यावसायिक रणनीतियों ने भारत की एफडीआई नीति को दरकिनार किया।

इसी तरह, सीसीआई के निष्कर्षों ने अमेज़न सेलर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (प्लेटफ़ॉर्म इकाई), अमेज़न होलसेल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (थोक इकाई), और उनके प्रॉक्सी विक्रेता क्लाउडटेल और एपारियो को भी दोषी पाया है। *
शाओमी,सैमसंग और वनप्लस जैसे मोबाइल निर्माताओं को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। एफडीआई नीति के उल्लंघन के साथ ही अमेज़न के बाजार प्रभुत्व को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं।

मुख्य चिंताओं का उल्लेख करते हुए श्री खंडेलवाल ने कहा कि फ्लिपकार्ट इंटरनेट प्राइवेट लिमिटेड और अमेज़न इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की गतिविधियों ने प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुँचाया है और उनके प्लेटफार्मों पर तीसरे पक्ष के विक्रेताओं को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है।

कैट राष्ट्रीय संगठन मंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र जैन ने कहा कि दोनों ई-कॉमर्स दिग्गज पसंदीदा विक्रेताओं के साथ गठजोड़ करते हैं,

जिससे अन्य विक्रेताओं को नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि ये प्लेटफ़ॉर्म गैर-तटस्थ बाज़ार* बन गए हैं, जो चुनिंदा विक्रेताओं का पक्ष लेते हैं और लाखों अन्य विक्रेताओं को नुकसान पहुँचाते हैं। उन्होंने कहा कि इन कंपनियों ने शाओमी, रियलमी, सैमसंग, मोटोरोला, वीवो और वनप्लस जैसे ब्रांडों के साथ विशेष संबंध स्थापित किए हैं, जिससे कई विक्रेता इन उत्पादों को बेचने से वंचित रह जाते हैं और प्रतिस्पर्धा घटती है। पसंदीदा विक्रेताओं को अधिक प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाता है, जिससे उन्हें अन्य विक्रेताओं की तुलना में अनुचित लाभ मिलता है।

उन्होंने आरोप लगाया कि विदेशी वित्त पोषण के कारण फ्लिपकार्ट और अमेज़न भारी छूट पर उत्पादों की पेशकश कर रहे हैं, खासकर प्रमुख बिक्री कार्यक्रमों के दौरान, जिससे छोटे विक्रेताओं को नुकसान हो रहा है और बाजार में एकाधिकार स्थापित हो रहा है। इन रणनीतियों का उद्देश्य प्रतिस्पर्धा को खत्म करना है, जिससे अंततः उपभोक्ताओं के पास कम विकल्प रहेंगे और लंबे समय में कीमतें बढ़ेंगी।

यह महत्वपूर्ण है कि ये प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाएँ केवल स्मार्टफोन तक सीमित नहीं हैं, बल्कि विभिन्न उत्पाद श्रेणियों में फैली हुई हैं, जिससे लाखों विक्रेता केवल आंकड़ों में सिमट कर रह गए हैं जबकि इसका लाभ केवल कुछ चुनिंदा विक्रेताओं को हो रहा है।

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